Byomkesh Bakshi ki Rahasyamayi Kahaniyan (hindi)
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Byomkesh Bakshi ki Rahasyamayi Kahaniyan by Saradindu Bandyopadhyay
सारदेंदु बंद्योपाध्याय की विशिष्टता उनके जासूसी लेखन के अतिरिक्त उनकी अद्वितीय लेखन-शैली के साथ-साथ उनके चरित्रों का सूक्ष्म जीवंत चित्रण है।
बीसवीं सदी के प्रारंभ के बंगाल में लेखक और पाठक समान रूप से अपराध और जासूसी साहित्य को नीची निगाहों से देखते थे। सारदेंदु बंद्योपाध्याय ने पहली बार उस लेखन को सम्मानीय स्थान दिलाया।इसका एक बड़ा कारण यह था कि उनके पूर्व के लेखक पंचकोरी दे और दिनेंद्र कुमार अंग्रेजी के जासूसी लेखक आर्थर कोनान, डोएल, एडगर एलन पो, जी.के. चेस्टरसन तथा अगाथा क्रिस्टी से प्रभावित होकर लिखते थे, जबकि सारदेंदु के चरित्र और स्थान अन्य जासूसी उपन्यासों के विपरीत, भारतीय मूल और स्थल के परिवेश में जीते हैं। उनके लेखन का विनोदी स्वभाव पाठक को अनायास कथा के दौरान गुदगुदाता रहता है।ब्योमकेश का साहित्य न केवल अभूतपूर्व जासूसी साहित्य है बल्कि सभी समय और काल में, समाज के सभी वर्गों के युवाओं और वृद्धों में समान रूप से सदैव लोकप्रिय बना रहा है। पाठक इन रहस्य भरी कहानियों को उनके जीवंत लेखन के लिए, अंत जानने के बावजूद, बार-बार पढ़ने के लिए लालायित रहता है। किसी भी लोकप्रिय साहित्य में यह एक अद्वितीय उपलब्धि मानी जाती है और यही उपलब्धि सारदेंदु के ब्योमकेश बक्शी साहित्य को सत्यजीत राय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘फेलूदा के कारनामे’ के समान हमारे समय के ‘क्लासिक’ का स्थान दिलाती है।
अनुक्रम :-
सत्यान्वेषी (दि इनविजिटर)ग्रामोफोन पिन का रहस्यतरनतुला का जहरवसीयत का जंजालविपदा का संहार!
***
Saradindu Bandyopadhyay
सारदेंदु बंद्योपाध्याय का जन्म 30 मार्च, 1899 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था।
उनके साहित्यिक जीवन की शुरुआत कविता-संग्रह से हुई, जो 1919 में प्रकाशित हुआ। सन् 1938 में सारदेंदु ‘बॉम्बे टाकीज’ तथा अन्य फिल्म प्रतिष्ठानों में पटकथा लेखक के रूप में कार्य हेतु बंबई चले गए, जहाँ उन्होंने 1952 तक काम किया। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में लिखना छोड़ दिया और पुणे आ गए तथा अपना ध्यान पुनः साहित्य-लेखन में लगाया। बाद में चलकर वे बँगला साहित्य में भूत-प्रेतों की कहानियों, ऐतिहासिक पे्रम-प्रसंगों और बाल-साहित्य के लोकप्रिय और प्रख्यात लेखक के रूप में उभरकर आए। किंतु ब्योमकेश की कहानियों का समकालीन बँगला साहित्य में आज भी योगदान माना जाता है।सारदेंदु बंद्योपाध्याय को उनके उपन्यास ‘तुंगभद्रा तीरे’ के लिए 1967 में ‘रवींद्र पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय की ओर से ‘शरत स्मृति पुरस्कार’ दिया गया। उनका बाद का जीवन पुणे में बीता, जहाँ 22 सितंबर, 1970 को उनका स्वर्गवास हो गया।
Sherlock Holmes Ki Paanch Superhit Kahaniyan by Sir Arthur Conan Doyle
होम्स ने घंटी बजाते हुए जवाब दिया, ‘‘कुछ ठंडा मीट और एक गिलास बियर हो जाए, मैं इतना व्यस्त था कि मैं खाने के बारे में सोच भी न सका और मेरी आज की शाम के भी व्यस्त रहने की संभावना है। डॉक्टर, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।’’ ‘‘मुझे इसमें खुशी होगी।’’ ‘‘तुम्हें कानून तोड़ना बुरा तो नहीं लगेगा?’’ ‘‘बिलकुल नहीं।’’ ‘‘गिरफ्तार होने की संभावना से भी नहीं?’’ ‘‘अच्छे कारण के लिए, बिलकुल नहीं।’’ ‘‘हाँ, कारण तो बहुत ही अच्छा है।’’ ‘‘तब तो मैं तुम्हारा ही आदमी हूँ।’’ ‘‘मुझे यकीन था कि मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूँ।’’ ‘‘मगर, तुम चाहते क्या हो?’’ —इसी संग्रह से शेरलॉक होम्स की कहानियाँ दुनिया भर में जासूसी और साहसिक कारनामों के लिए जानी जाती हैं। कहानी के अंत तक रोमांच तथा सस्पेंस बना रहता है। बेहद पठनीय एवं रोमांच से भरपूर सर आर्थर कॉनन डॉयल सृजित पात्र शेरलॉक होम्स की लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संग्रह।
Sherlock Holmes Ki Lokpriya Kahaniyan by Sir Arthur Conan Doyle
होम्स ने घंटी बजाते हुए जवाब दिया; ‘‘कुछ ठंडा मीट और एक गिलास बियर हो जाए; मैं इतना व्यस्त था कि मैं खाने के बारे में सोच भी न सका और मेरी आज की शाम के भी व्यस्त रहने की संभावना है। डॉक्टर; मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।’’ ‘‘मुझे इसमें खुशी होगी।’’ ‘‘तुम्हें कानून तोड़ना बुरा तो नहीं लगेगा?’’ ‘‘बिलकुल नहीं।’’ ‘‘गिरफ्तार होने की संभावना से भी नहीं?’’ ‘‘अच्छे कारण के लिए; बिलकुल नहीं।’’ ‘‘हाँ; कारण तो बहुत ही अच्छा है।’’ ‘‘तब तो मैं तुम्हारा ही आदमी हूँ।’’ ‘‘मुझे यकीन था कि मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूँ।’’ ‘‘मगर; तुम चाहते क्या हो?’’ —इसी संग्रह से • शेरलॉक होम्स की कहानियाँ दुनिया भर में जासूसी और साहसिक कारनामों के लिए जानी जाती हैं। कहानी के अंत तक रोमांच तथा सस्पेंस बना रहता है। बेहद पठनीय एवं रोमांच से भरपूर सर आर्थर कॉनन डॉयल सृजित पात्र शेरलॉक होम्स की लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संग्रह।
RAHASYAMAYA TAPOO BY ROBERT LEWIS STEVENSON
प्रस्तुत उपन्यास ‘रहस्यमय टापू’ अंग्रेजी के प्रख्यात साहित्यकार रॉबर्ट लुइस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यास ‘ट्रैजर आइलैंड’ का हिंदी रूपांतरण है। जब वर्ष 1883 में यह पहली बार प्रकाशित हुआ तब पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हुआ था। यह एक बेहद रोचक-रोमांचक एवं साहसपूर्ण कथा है। उपन्यास का किशोर नायक जिम जिस प्रकार खजाने की खोज में निकलता है और समुद्र के बीच एक निर्जन टापू पर खूँखार डाकुओं का सामना करता है; वहीं कदम-कदम पर हैरतअंगेज घटनाओं से उसका सामना होता है। उपन्यास के मध्य ऐसी रोमांचक घटनाएँ घटती हैं जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह प्रत्येक वय के पाठकों के लिए पठनीय और मनोरंजनपूर्ण है। यह उपन्यास विश्व के अमर ग्रंथों (वर्ल्ड क्लासिक्स) में गिना गया है। प्रकाशन के सवा सौ वर्षों के पश्चात् स्टीवेंसन का यह उपन्यास आज भी अत्यंत लोकप्रिय है।
ASIN : 9352661214
Publisher : Prabhat Prakashan; 1st edition (1 January 2020); Prabhat Prakashan – Delhi
Language : Hindi
Paperback : 176 pages
ISBN-10 : 9789352661213
ISBN-13 : 978-9352661213
Item Weight : 180 g
Dimensions : 13.97 x 1.04 x 21.59 cm
Importer : Prabhat Prakashan – Delhi
Packer : Prabhat Prakashan – Delhi
Generic Name : Books
₹131.1
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Byomkesh Bakshi ki Rahasyamayi Kahaniyan by Saradindu Bandyopadhyay
सारदेंदु बंद्योपाध्याय की विशिष्टता उनके जासूसी लेखन के अतिरिक्त उनकी अद्वितीय लेखन-शैली के साथ-साथ उनके चरित्रों का सूक्ष्म जीवंत चित्रण है।
बीसवीं सदी के प्रारंभ के बंगाल में लेखक और पाठक समान रूप से अपराध और जासूसी साहित्य को नीची निगाहों से देखते थे। सारदेंदु बंद्योपाध्याय ने पहली बार उस लेखन को सम्मानीय स्थान दिलाया।इसका एक बड़ा कारण यह था कि उनके पूर्व के लेखक पंचकोरी दे और दिनेंद्र कुमार अंग्रेजी के जासूसी लेखक आर्थर कोनान, डोएल, एडगर एलन पो, जी.के. चेस्टरसन तथा अगाथा क्रिस्टी से प्रभावित होकर लिखते थे, जबकि सारदेंदु के चरित्र और स्थान अन्य जासूसी उपन्यासों के विपरीत, भारतीय मूल और स्थल के परिवेश में जीते हैं। उनके लेखन का विनोदी स्वभाव पाठक को अनायास कथा के दौरान गुदगुदाता रहता है।ब्योमकेश का साहित्य न केवल अभूतपूर्व जासूसी साहित्य है बल्कि सभी समय और काल में, समाज के सभी वर्गों के युवाओं और वृद्धों में समान रूप से सदैव लोकप्रिय बना रहा है। पाठक इन रहस्य भरी कहानियों को उनके जीवंत लेखन के लिए, अंत जानने के बावजूद, बार-बार पढ़ने के लिए लालायित रहता है। किसी भी लोकप्रिय साहित्य में यह एक अद्वितीय उपलब्धि मानी जाती है और यही उपलब्धि सारदेंदु के ब्योमकेश बक्शी साहित्य को सत्यजीत राय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘फेलूदा के कारनामे’ के समान हमारे समय के ‘क्लासिक’ का स्थान दिलाती है।
अनुक्रम :-
सत्यान्वेषी (दि इनविजिटर)ग्रामोफोन पिन का रहस्यतरनतुला का जहरवसीयत का जंजालविपदा का संहार!
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Saradindu Bandyopadhyay
सारदेंदु बंद्योपाध्याय का जन्म 30 मार्च, 1899 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था।
उनके साहित्यिक जीवन की शुरुआत कविता-संग्रह से हुई, जो 1919 में प्रकाशित हुआ। सन् 1938 में सारदेंदु ‘बॉम्बे टाकीज’ तथा अन्य फिल्म प्रतिष्ठानों में पटकथा लेखक के रूप में कार्य हेतु बंबई चले गए, जहाँ उन्होंने 1952 तक काम किया। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में लिखना छोड़ दिया और पुणे आ गए तथा अपना ध्यान पुनः साहित्य-लेखन में लगाया। बाद में चलकर वे बँगला साहित्य में भूत-प्रेतों की कहानियों, ऐतिहासिक पे्रम-प्रसंगों और बाल-साहित्य के लोकप्रिय और प्रख्यात लेखक के रूप में उभरकर आए। किंतु ब्योमकेश की कहानियों का समकालीन बँगला साहित्य में आज भी योगदान माना जाता है।सारदेंदु बंद्योपाध्याय को उनके उपन्यास ‘तुंगभद्रा तीरे’ के लिए 1967 में ‘रवींद्र पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय की ओर से ‘शरत स्मृति पुरस्कार’ दिया गया। उनका बाद का जीवन पुणे में बीता, जहाँ 22 सितंबर, 1970 को उनका स्वर्गवास हो गया।
Sherlock Holmes Ki Paanch Superhit Kahaniyan by Sir Arthur Conan Doyle
होम्स ने घंटी बजाते हुए जवाब दिया, ‘‘कुछ ठंडा मीट और एक गिलास बियर हो जाए, मैं इतना व्यस्त था कि मैं खाने के बारे में सोच भी न सका और मेरी आज की शाम के भी व्यस्त रहने की संभावना है। डॉक्टर, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।’’ ‘‘मुझे इसमें खुशी होगी।’’ ‘‘तुम्हें कानून तोड़ना बुरा तो नहीं लगेगा?’’ ‘‘बिलकुल नहीं।’’ ‘‘गिरफ्तार होने की संभावना से भी नहीं?’’ ‘‘अच्छे कारण के लिए, बिलकुल नहीं।’’ ‘‘हाँ, कारण तो बहुत ही अच्छा है।’’ ‘‘तब तो मैं तुम्हारा ही आदमी हूँ।’’ ‘‘मुझे यकीन था कि मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूँ।’’ ‘‘मगर, तुम चाहते क्या हो?’’ —इसी संग्रह से शेरलॉक होम्स की कहानियाँ दुनिया भर में जासूसी और साहसिक कारनामों के लिए जानी जाती हैं। कहानी के अंत तक रोमांच तथा सस्पेंस बना रहता है। बेहद पठनीय एवं रोमांच से भरपूर सर आर्थर कॉनन डॉयल सृजित पात्र शेरलॉक होम्स की लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संग्रह।
Sherlock Holmes Ki Lokpriya Kahaniyan by Sir Arthur Conan Doyle
होम्स ने घंटी बजाते हुए जवाब दिया; ‘‘कुछ ठंडा मीट और एक गिलास बियर हो जाए; मैं इतना व्यस्त था कि मैं खाने के बारे में सोच भी न सका और मेरी आज की शाम के भी व्यस्त रहने की संभावना है। डॉक्टर; मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत होगी।’’ ‘‘मुझे इसमें खुशी होगी।’’ ‘‘तुम्हें कानून तोड़ना बुरा तो नहीं लगेगा?’’ ‘‘बिलकुल नहीं।’’ ‘‘गिरफ्तार होने की संभावना से भी नहीं?’’ ‘‘अच्छे कारण के लिए; बिलकुल नहीं।’’ ‘‘हाँ; कारण तो बहुत ही अच्छा है।’’ ‘‘तब तो मैं तुम्हारा ही आदमी हूँ।’’ ‘‘मुझे यकीन था कि मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूँ।’’ ‘‘मगर; तुम चाहते क्या हो?’’ —इसी संग्रह से • शेरलॉक होम्स की कहानियाँ दुनिया भर में जासूसी और साहसिक कारनामों के लिए जानी जाती हैं। कहानी के अंत तक रोमांच तथा सस्पेंस बना रहता है। बेहद पठनीय एवं रोमांच से भरपूर सर आर्थर कॉनन डॉयल सृजित पात्र शेरलॉक होम्स की लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संग्रह।
RAHASYAMAYA TAPOO BY ROBERT LEWIS STEVENSON
प्रस्तुत उपन्यास ‘रहस्यमय टापू’ अंग्रेजी के प्रख्यात साहित्यकार रॉबर्ट लुइस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यास ‘ट्रैजर आइलैंड’ का हिंदी रूपांतरण है। जब वर्ष 1883 में यह पहली बार प्रकाशित हुआ तब पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हुआ था। यह एक बेहद रोचक-रोमांचक एवं साहसपूर्ण कथा है। उपन्यास का किशोर नायक जिम जिस प्रकार खजाने की खोज में निकलता है और समुद्र के बीच एक निर्जन टापू पर खूँखार डाकुओं का सामना करता है; वहीं कदम-कदम पर हैरतअंगेज घटनाओं से उसका सामना होता है। उपन्यास के मध्य ऐसी रोमांचक घटनाएँ घटती हैं जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह प्रत्येक वय के पाठकों के लिए पठनीय और मनोरंजनपूर्ण है। यह उपन्यास विश्व के अमर ग्रंथों (वर्ल्ड क्लासिक्स) में गिना गया है। प्रकाशन के सवा सौ वर्षों के पश्चात् स्टीवेंसन का यह उपन्यास आज भी अत्यंत लोकप्रिय है।
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Publisher : Prabhat Prakashan; 1st edition (1 January 2020); Prabhat Prakashan – Delhi
Language : Hindi
Paperback : 176 pages
ISBN-10 : 9789352661213
ISBN-13 : 978-9352661213
Item Weight : 180 g
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